शनिवार, 4 जुलाई 2015

ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले )






 ग़ज़ल(दूर रह कर हमेशा हुए फासले )


दूर रह कर हमेशा हुए फासले ,चाहें रिश्तें कितने क़रीबी  क्यों ना हों
कर लिए बहुत काम लेन देन  के ,विन  मतलब कभी तो जाया करो

पद पैसे की इच्छा बुरी तो नहीं मार डालो जमीर कहाँ ये सही
जैसा देखेंगे बच्चे वही सीखेंगें ,पैर अपने माँ बाप के भी दबाया करो

काला कौआ भी है काली कोयल भी है ,कोयल सभी को भाती  क्यों है
सुकूँ दे चैन दे दिल को ,अपने मुहँ में ऐसे ही अल्फ़ाज़ लाया करो

जब सँघर्ष है तब ही  मँजिल मिले ,सब कुछ सुबिधा नहीं यार जीबन में है
जिस गली जिस शहर में चला सीखना , दर्द उसके मिटाने भी जाया करो

यार जो भी करो तुम सँभल करो ,  सर उठे गर्व से ना झुके शर्म से
वक़्त रुकता है किसके लिए ये "मदन" वक़्त ऐसे ही अपना ना जाया करो



ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (06-07-2015) को "दुश्मनी को भूल कर रिश्ते बनाना सीखिए" (चर्चा अंक- 2028) (चर्चा अंक- 2028) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (06-07-2015) को "दुश्मनी को भूल कर रिश्ते बनाना सीखिए" (चर्चा अंक- 2028) (चर्चा अंक- 2028) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. वक्त जाया क्यों किया जाए इसलिए जो करो गर्व से करो ... बहुत खूब ...

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  4. काला कौआ भी है काली कोयल भी है ,कोयल सभी को भाती क्यों है
    सुकूँ दे चैन दे दिल को ,अपने मुहँ में ऐसे ही अल्फ़ाज़ लाया करो
    सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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